प्रभु के संकेत
ये स्वप्न जो मुझे दिखाई दिए ,बहुत अच्छे लगे। मैंने उन्हें गम्भीरता से लिया और भगवान का आशीर्वाद माना-
17.8.2013
स्वप्न में ,नींद में सुनाई देरहा था ," रथ का चक्र चलता रहे ,स्वर्ग पहुँच जाओगे।"
17.8.2013
स्वप्न में ,नींद में सुनाई देरहा था ," रथ का चक्र चलता रहे ,स्वर्ग पहुँच जाओगे।"
16 . 8. 2013
सोते हुए राम रक्षा स्तोत्र से श्लोक २,३,4. का मन में जप चल रहा था।
अप्रेल 2014
स्वप्न में हनुमान चालीसा की ये पंक्तियाँ दुहरा रही थी -
" नासे रोग हरे सब पीरा ,जपत निरन्तर हनुमत वीरा।"--और हनुमान जी का छायाभास होरहा था। तभी सीता जी ने एक मिठाई के डिब्बे में निमन्त्रण पत्र रख कर कहा ,इसे भी दे आना।
उसी दिन देखा ,विष्णु सहस्र नाम का एक श्लोक जो मुझे याद नहीं है पर उसके एक शब्द को बोलते हुए उठी। सोचती रही ये क्या है ,ढूँढा तो विष्णु सहस्र नाम के श्लोक में विष्णु जी का ही नाम बोल रही थी। श्लोक 73 -"पुण्य कीर्ति रनामय:"
१२. २. २०१४.
एक फूल और पत्तियों की डाल और इन दोनों के बीच " श्री कृष्ण भगवान "का सुन्दर चेहरा देखा।
25. 8. 2015
सुबह यह स्वप्न देखा था -कोई भक्त पूछता है "भगवन आपने अपने इतने नाम क्यों रखे हैं ?"
भगवान ने उत्तर दिया " नाम मैंने नहीं रखे ,ये तो आप लोगों ने ही रखे हैं।"
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