Visitors

22,130

Tuesday, 27 October 2015

यथार्थ एवं रोमांचक )

  यथार्थ एवं रोमांचक घटना 

जीवन में घटित कुछ चकित करने वाली घटनाओं का वर्णन --------
                                                 

  " जो ठीक लगे वह करें।"
और अस्पताल चली गयी उस समय मुझे कोई होश न था,क्योंकि वो अस्पताल में एडमिट थे।
           सब कुछ गत-विगत हो गया। उनके जाने के बाद जैसे भी था समय बहुत ही ऊहा-पोह में व्यतीत हो रहा था।  समझ ही नहीं आरहा था कि आगे क्या होगा। आँसू बहते,कभी सूखते। ऐसे में अचानक एकदिन उक्त वाक्य दिमाग में कौंधा। रोम-रोम काँप उठा,कुछ याद आया। ऐसा लगा जैसे अंदर से आवाज़ आरही हो कि अब क्यों रोरही हो तूने तो कहा था "जो ठीक लगे वो करना' हाँ, याद आया, 5 . 2 . 2013 को सुबह अस्पताल जाने से पहले भगवान के सम्मुख नतमस्तक हुई थी तब मैंने यही वाक्य बोला था और मैं चली गयी।क्यों बोला,नहीं पता। पर क्या मुझसे किसी ने कुछ पूछा था जिसके उत्तर में मैंने ये कहा था कि जो ठीक लगे वो करना। क्या था ये !नहीं पता। कुछ नहीं कह सकती। मन उद्विग्न हो उठा,बेचैनी सी होने लगी। थोड़ा सँभलने के बाद यह सब अपनी बहू से कहा वह तुरन्त ही बिना कुछ सोचे बोली -" ये तो संवाद है।"शायद भगवान ने मेरी इच्छा जाननी चाही थी जिसके उत्तर में मैंने उक्त वाक्य बोला  होगा। 
                                             
                                               ******

 1अप्रेल 2014  को घटी घटना ने बुड्ढी से बूढ़ी बना दिया।सुबह पाँच बजे उठकर बाथ रूम में जाकर गरम पानी के लिए रोड की तरफ जैसे ही झुकी,हाथ बढ़ाया,कि इतने ज़ोर का धक्का लगा कि केवल दो फ़ीट की दूरी रही होगी दीवार की,उससे मेरा सर क्रिकेट बॉल की तरह दो बार इतने ज़ोर से टकराया कि दूसरे रूम में सो रही बहू जाग कर आई ५ मिनट तक आवाज़ देती रही। मम्मी मम्मी दरवाज़ा खोलो हमें डर लग रहा है,क्या हुआ।मुझे बहू की कोई आवाज़ नहीं सुनाई दी,गिरते ही मैं तो किसी दूसरी ही दुनिया में थी,एकदम खुश थी, भगवान से कह रही थी हे भगवान ये तो बहुत ही आसान मौत देदी आपने ! तभी बेटे की आवाज़ सुनाई दी --मम्मी मम्मी ,मैनें कहा,आई एक मिनट ( मानो अपनी  दुनिया में बापस आगयी )खिसक-खिसक कर दरवाज़े तक आई ,चिटकनी खोली,बस इसके बाद पेट की साइड में जो सीवियर पेन शुरू हुआ उसे  परिवार ही जानता है।
सात हफ्ते तो बिलकुल उठने की कंडीशन में नहीं थी।बहुत रोना आता था,भगवान पर  गुस्सा भी आता था। मौत देकर फिर छीनी क्यों? सोचती क्या यमराज से ही गलती होगयी या कुछ और ही था। कुछ दिन बाद पूरे शरीर से स्किन हटगई,जीभ के ऊपर के छाले या स्किन भी हट गए,हाथों के रोम भी गायब होगये ,पैर की दसो उंंगली गहरे नीले रंग की होगईं।शरीर की स्किन का कलर लाल होगया , सबकुछ मरणोपरान्त के ही लक्षण थे , ये तो पुनर्जन्म ही हुआ पर क्यों ?इस अवस्था में तो इसकी ज़रूरत भी नहीं थी।शरीर को लेकर पुनः यथावत खड़ी होगयी हूँ। न जाने कबतक के लिए।काम करती रहूँ,किसी पर भार न बनूँ ,बस यही भगवान से प्रार्थना है।             
उक्त वृतान्त भले ही असहज व भ्रम-पूर्ण अविश्वसनीय प्रतीत हो किन्तु भगवान पर भरोसा है तो ये कुछ भगवान के संकेत हैं, जिन्हे समझना समझ से परे है।

                                                    **


                                      


                                                  




                                                 
                 


No comments:

Post a Comment