छोड़दो !!
" छोड़दो।"
आखिर क्यों ?
कहते हैं " पीना " अच्छा नहीं होता।"
"ज़हर" है ,यह -
तुम्हेँ अन्दर ही अन्दर जला रहा है।
कहते हैं,अपना भविष्य सँभालो,आगे बढ़ो -
पर मुझे तो उसके बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता
अधूरी लगती है ज़िन्दगी
कहते हैं,माँ भी तो यही चाहती है
पर क्यों,अगर मुझे उससे सुकून मिलता है -
तो क्यों हो किसी को एतराज़ ?
फिर मुसीबत में तो अच्छे-अच्छे साथ नहीं छोड़ते -
तो मैं क्यों छोड़ूँ ?
उन्हें नहीं पता कि उसे छोड़ने की कल्पना मुझे कितना व्यथित करती है और
उसके साथ रहने की कल्पना भी मुझे कितना रोमांचित करती है -
सहारा है वह मेरा !
सर्वस्व है वह मेरा !
फिर बुराई-दोष किसमें नहीं होते !
फिर उसकी अच्छाई क्यों नहीं दिखाई देती किसी को !
मुझे तो उसके साथ की कल्पना से भी नींद भी अच्छी आती है,
शान्ति मिलती है ,सन्तुष्टि मिलती है और -
सुबह तरो-ताज़ा होती है।
पर कभी-कभी ये उसका भ्रम भी होता है और -
मनुष्य ऐसे दोराहे पर आकर अटक जाता है,अन्य-मनस्क होजाता है !!!
लेकिन ये क्या !
अचानक छोड़दो छोड़दो छोड़दो की गूँज -
एक अलग सा राहत भरा एहसास-
आँखों के सामने एक ज्योतिर्मय पथ दिखाई दिया -
लगा यही है मेरी ज़िन्दगी का रास्ता
जो मेरी ही प्रतीक्षा कर रहा था
ख़त्म हुयी अन्य मनस्कता।
छोड़ दिया उसे सदा सदा के लिये।
मानली सबकी बात ! और-
सँभाल ली अपनी ज़िंदगी !!!
हे ईश्वर !
" छोड़दो।"
आखिर क्यों ?
कहते हैं " पीना " अच्छा नहीं होता।"
"ज़हर" है ,यह -
तुम्हेँ अन्दर ही अन्दर जला रहा है।
कहते हैं,अपना भविष्य सँभालो,आगे बढ़ो -
पर मुझे तो उसके बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता
अधूरी लगती है ज़िन्दगी
कहते हैं,माँ भी तो यही चाहती है
पर क्यों,अगर मुझे उससे सुकून मिलता है -
तो क्यों हो किसी को एतराज़ ?
फिर मुसीबत में तो अच्छे-अच्छे साथ नहीं छोड़ते -
तो मैं क्यों छोड़ूँ ?
उन्हें नहीं पता कि उसे छोड़ने की कल्पना मुझे कितना व्यथित करती है और
उसके साथ रहने की कल्पना भी मुझे कितना रोमांचित करती है -
सहारा है वह मेरा !
सर्वस्व है वह मेरा !
फिर बुराई-दोष किसमें नहीं होते !
फिर उसकी अच्छाई क्यों नहीं दिखाई देती किसी को !
मुझे तो उसके साथ की कल्पना से भी नींद भी अच्छी आती है,
शान्ति मिलती है ,सन्तुष्टि मिलती है और -
सुबह तरो-ताज़ा होती है।
पर कभी-कभी ये उसका भ्रम भी होता है और -
मनुष्य ऐसे दोराहे पर आकर अटक जाता है,अन्य-मनस्क होजाता है !!!
लेकिन ये क्या !
अचानक छोड़दो छोड़दो छोड़दो की गूँज -
एक अलग सा राहत भरा एहसास-
आँखों के सामने एक ज्योतिर्मय पथ दिखाई दिया -
लगा यही है मेरी ज़िन्दगी का रास्ता
जो मेरी ही प्रतीक्षा कर रहा था
ख़त्म हुयी अन्य मनस्कता।
छोड़ दिया उसे सदा सदा के लिये।
मानली सबकी बात ! और-
सँभाल ली अपनी ज़िंदगी !!!
हे ईश्वर !
कोटिशः प्रणाम !!!
शतशः नमन !!!