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Tuesday 20 September 2016

मरणासन्न व्यक्ति की व्यथित मुस्कराहट



मरणासन्न व्यक्ति और उसकी मुस्कराहट में छिपा दर्द !!

वह व्यथित है,मरणासन्न है,
परिवार में मातम छाया हुआ है,

प्रस्तुत है एक परिदृश्य;
पास में डॉक्टर है,निराश है,हताश है,वह कुछ कर नहीं पा रहा।
एक पत्रकार खड़ा है,नंबर १ खबरी बनना है।समाचार-पत्र में मृत्यु का सही समय सबसे पहले प्रकाशित करबाना है।
एक चित्रकार भी खड़ा है,मृत व्यक्ति का स्केच बनाने के लिए।
परिवार अवसन्न है,भविष्य की योजना में मग्न।
  यानि घटना एक ;
मनःस्थितियाँ चार !!
सबकी सोच अलग; चारों मस्तिष्क में भिन्न-भिन्न विचार !
हर कोई अपने स्वार्थ में संलग्न !
ग्राह्य है ,रिश्तों के मायने बदल गए हैं।
मतलब साफ़ है-
" आज के परिवेश में रिश्ता अपने आप से जोड़ें ; जीवन के आखिरी पड़ाव पर जीवन का अर्थ स्पष्टतः दिखाई देता है,मरणासन्न व्यक्ति की मुस्कराहट का यही अर्थ है। "
  हम सब भी तो मरणासन्न हैं,देखें अपने चारों ओर भी यही दृश्य है !!!

ये विवरण (ओशो की कहानी )मैंने समाचार-पत्र में पढ़ा था,मर्म-स्पर्शी था तो कलम हाथ में आगयी। शब्द और अभिव्यक्ति मेरी निजी है।      

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Sunday 4 September 2016

सदाबहार शिक्षक


सदाबहार शिक्षक  ( शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ )

एक अध्यापक गहन चिन्तन में -
अपने विचारों को खाली पन्नों पर उकेरने के लिये तत्पर -
घण्टी बजती है,अध्यापक द्रुत गति से जाता है  ;
दरवाज़ा खोलता है -
दोनों ही एक दूसरे को देख दंग रहजाते हैं -
आगन्तुक के चेहरे पर झुर्रियाँ,उदासी,थकान और -
शिक्षक,बहुत उत्साहित,सचेत,जागरूक,खिला हुआ चेहरा -
निराशा,हताशा,उदासी,थकान से कोसों दूर -
पास बैठे छात्र देख रहे थे,ज्ञात हुआ,दोनों मित्र हैं।
सम-वयस्क हैं, दोनों ही लगभग साठ पार कर चुके हैं ,कार्य-रत हैं फिर !! क्योंकि -

"अध्यापक सदैव छोटे और युवा छात्रों से घिरा रहता है -
इसलिए वो युवा ही रहता है ,
हमेशा अपने छात्रों को कुछ नया-नया देने की तैयारी में रहता है -
विविध प्रकार का साहित्य पढ़ता है -
उस सामग्री को नया रंग देकर रुचिकर बनाकर छात्रों को सन्तुष्ट करता है -
उच्च स्तर की उनसे हँसी-मज़ाक करता है -
उन्हें "लाइट-मूड" में रखता है और नैतिकता की बातें करता है
इससे बचे समय में अपने अनुभव पन्नों पर उतारता है।
स्वयं को  एक आदर्श रूप में प्रस्तुत करता है।"

फिर आयु की किसी भी पर्त का उस पर प्रभाव कब और कैसे हो !!
वो सदा "सदाबहार" रहता है।

( सभी छात्रों और शिक्षकों को " शिक्षक दिवस " की हार्दिक शुभ कामनाएँ क्योंकि छात्रों से -
ही शिक्षक का अस्तित्व है। )

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