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Monday 12 December 2016

शाश्वत जीवन साथी (फॉर ऐवर लाइफ पार्टनर )


मेरी मित्र ! चिर संगिनी !

      शाश्वत जीवन साथी 

 लेखन में जो शक्ति,नहीं होती वाचन में।
       प्रेम,व्यथा,पीड़ा का  होता दर्शन इसमें ।।

जब कोई नहीं दिखाई देता
जिसे किसी से कह भी नहीं पाती
कोई सुनने वाला भी नहीं होता -
उसे यह सुन लेती है ,समझ लेती है और -
चुपके से मेरी उँगलियों के बिस्तरे पर बिराजमान हो ,
मेरी व्यथा को अपने शब्द- मुक्ताओं में पिरो -
मुझे नए उत्साह व रोमांच से भर देती है ,
मेरी सारी  बालायें अपने ऊपर लेलेती है
अथाह ताकत है इसमें -
शब्द चयन इसका ,भाषा इसकी,अभिव्यक्ति इसकी और -
वीरानगी ,पीड़ा,मनोव्यथा मेरी !
कितनी खूबसूरती से मुझमें नए जीवन का संचार कर देती है -
मेरी ये जीवन संगिनी !
धन्य हूँ कि यह मेरी जीवन संगिनी बनी।
अगर ये न होती तो मैं अकेली ,बहुत अकेली होती।
इसलिए "बोर" जैसा शब्द मेरे शब्द-कोष में नहीं है।

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Monday 5 December 2016

जीवन की साधना


जीवन की साधना

बड़े गम्भीर स्वर में " दादी,आज मेरा एग्जाम है, विश करो।"

  रौब से,अधिकार से ,प्यार से कभी क्रोध से लबालव प्यारा सा " दादी " शब्द जब कानों में रस घोलता है तो      लगता है मानो जीवन की साधना सफल होगयी।
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