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Friday 22 September 2017

प्रेरक सन्देश


प्रेरक सन्देश

कल किसीने ऐसा कुछ कह दिया ,लगा सच ही तो है --

" घर का मुखिया अगर चला जाय तो परिवार में उश्रृंखलता ( उद्दण्डता ) आएगी। जैसे सूर्य की किरणें सारे
विश्व को प्रकाशित करती हैं पर वही रात्रि में न होने पर  विश्व में उद्दण्डता आजाती है।"

        संस्कार अधूरे,शिक्षा अधूरी,मान-सम्मान के भाव बहुत पीछे छूट जाते हैं। यही है कलियुग की पहचान भी।

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" जिस समस्या को आप सुलझा न सकें, उसे उसी वक़्त दफ़ना देना चाहिए। "


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Saturday 9 September 2017

झुर्रियाँ बताती हैं -----


------जीवन अभी बाकी है ----


झुर्रियाँ बताती हैं कि -
बीता हुआ कल अभी ज़िंदा है।
मिचमिचाती आँखों की रौशनी बताती है कि -
पढ़ने-लिखने का जज़्बा वैसा ही है तो वो ज़िंदा हैं
हाथों की कटी-पिटी,बदलती हुई रेखाएँ बताती हैं कि
जीवन अभी बाकी है।
थुल-थुल काया की क्रिया शीलता  बताती है कि-
धड़कनें अभी बाकी हैं।
टाँगों की लड़खड़ाहट बताती है कि
लाठी लेकर चलना अभी बाकी है।
मुँहु से निकलने वाले उलटे-पुल्टे शब्द बताते हैं कि
जीभ में ताकत अभी बाकी है।
कार्य-शैली की गति अब धीमी होगयी है पर
कार्य अभी बाकी हैं।
समयाभाव के कारण लोगों ने आना कम कर दिया है
पर भर-पूर स्वागत होता है तो
मिलने के लिए जाना अभी बाकी है।
हाथ-पैरों के,बढ़कर परेशान करने वाले नाख़ून भी
बताते हैं कि साँसें अभी बाकी हैं तो फिर
निराशा और हताशा क्यों ??
जीओ-जी भरके -----!!!

जय श्री राम !!

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Sunday 3 September 2017

एक हास्य परिकल्पना ---


   एक हास्य परिकल्पना ---

मन तो विचारशील होता है वह सदैव विचारों के ताने-बाने में ही उलझा रहता है। व्याकरण भी
इसी बात की पुष्टि करता है कि दिमाग़ कभी खाली नहीं रहता --इसी विचार शृंखला में दिमाग में
एक विचार कौंधा -दिल के कोने से आवाज़ आयी -

बच्चो,अब मिलेंगे अगले जन्म में
अच्छे बनके
अपने पापा से भी कहना वो भी
को-ओपरेटिव मूड में मिलें
कोई टोका-पीटी नहीं चलेगी
सब अच्छे-अच्छे काम करेंगे
एक दूसरे का सम्मान करेंगे ,प्यार से रहेंगे
कोई छोटा नहीं होगा,कोई बड़ा नहीं होगा। तभी -

एक दूसरे  विचार ने दस्तक दी -
क्यों भई !
ये भी कोई जीना है
न तू-तू न मैं-मैं,   ना , ना ऐसे नहीं बात बनती
इस जन्म में बड़े ने बड़प्पन दिखाया ,
उस जन्म  में मैं दिखाऊँगा।
इस बार मम्मी के आगे बोलने की हिम्मत नहीं हुई
अगले जनम में  बोलेंगे और अपनी मन-मर्जी चलाएँगे।
इस जन्म में हर समय पापा की ही तू ती बोली
उस जन्म में २१वीं सदी के बच्चे बनेंगे
सामने कोई डर-वर नहीं होगा,डट कर सामना करेंगे।

तभी एक विस्फोटक आवाज़ ने पुनः ध्यान भंग किया
ऐसा कुछ नहीं होगा
सभी शान्त होकर अपने मन की बात रखेंगे
एक दूसरे को सुनेंगे और समझेंगे और
कोई बड़े घर की, बड़े बनने की तमन्ना नहीं रखेगा
सब्र से जीएँगे और
एक छोटे से घर में एक दूसरे का चेहरा देखते हुए
रात्रि नमस्कार कर सोएँगे
सुबह प्रणाम करते हुए उठेंगे।
ऐसा होगा हमारा अगला जन्म  !!

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