माता कैकेयी और राम
माता कैकेयी और राम के विषय में अधिकतर हमने जो जाना और सुना है पूरा सत्य नहीं है।राम का माता कैकेयी और कैकेयी का पुत्र राम के प्रति प्रेम अद्भुत था।कैकेयी का जो रूप हमने देखा और सुना है वो बाह्य है।
उन्होंने राम को वनवास दिया उसका पूरा सच ये है कि राजा बनने से एक दिन पहले राम घूमते हुए माता कैकेयी के पास पहुँचे और बोले-माँ कल मुझे पिता जी राजा बनाएँगे।माता कैकेयी बोली-हाँ मुझे मालूम है और मैं भी चाहती हूँ कि तुम राजा बनो पर मैं चाहती हूँ कि तुम्हारे नाम के साथ राज्य शब्द जुड़ जाए।तुम्हारा राज्य ' रामराज्य ' कहलाये सर्वोत्तम राज्य "रामराज्य" कहा जाए।
राम ने कहा-माता इसके लिए मुझे क्या करना होगा।कैकेयी ने कहा-बेटा,इसके लिए तुम नंगे पाँव भारत में घूमो,प्रजाके दुःख को जानो,उसके दुःख और पीड़ा दूर करने के उपाय जानो।अगर सीधे राजा बनोगे तो असहाय का दर्द,दीनों का दुःख नहीं जान पाओगे,उनकी पीड़ा को नहीं समझ पाओगे।प्राथमिकता प्रजा के दुःख दूर करने की होनी चाहिए।
राम ने पूछा-कि इसके लिए मैं क्या कर्रूँ, माँ ने कहा बेटा,तुम्हें चौदह वर्ष वन में बिताने होंगे,वहाँ रहकर तुम्हें प्रजा के दुःख को समझना होगा।राम ने कहा-माँ पिताजी नहीं मानेंगे।कैकेयी ने कहा-ये काम तुम मुझ पर छोड़ो।इसके लिए मैं सबकी गाली खाऊँगी,सबकी बुरी बनूँगी,मैं अपमान का विष पीऊँगी,बस तुम अपने मन में मेरे लिए कोई दुर्भाव मत लाना।राम ने कहा-माँ ये तो बहुत छोटी से चीज़ है।आपके कहने पर तो मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ।अब मैं आपकी आज्ञा का पालन करने के लिए शीघ्र ही वन जाने तैयारी करता हूँ।कै केयी और मंइस प्रकार कैथरा के षड्यंत्र ने दशरथजी को राम को वन जाने के लिए बाध्य किया।
यानि कैकेयी और राम की मिली भगत से राम का वन-वास हुआ।तभी तो राम ने माता कैकेयी से कहा था,माँ अगर आप मुझे चौदह वर्ष का वनवास न देतीं तो मैं दुनिया के प्रति अपने कर्तव्य को नहीं जान पाता।और पूर्ण रामराज्य की स्थापना भी नहीं हो पाती।
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