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Sunday, 27 July 2025

माता सीता का त्याग

                                                                    

                     सीता का त्याग 

 एक धोबी के कहने से भगवान् राम ने सीता माँ का त्याग किया। ये कथन भ्रामक है। तथ्य ये है कि जब माता सीता गर्भवती थीं तब उन्होंने भगवान् से कहा-प्रभु,अगर आपकी आज्ञा हो तो कुछ दिन साधू संतों के मध्य रह कर उनके संत वचन सुनना चाहती हूँ। भगवान् बोले-अवश्य ऐसा ही होगा।

इसकी व्यवस्था के विषय में विचार कर ही रहे थे कि तभी धोबी का प्रसंग सुनाई दिया। धोबी के इस वृतांत ने भगवान् का काम आसान कर दिया।और तब भगवान् ने लक्ष्मण जी को आदेश दिया,कहा-लक्ष्मण,सीता को वन में जहां वाल्मीकि जी का आश्रम है वहाँ आदरपूर्वक छोड़ कर आओ ये वहां रह कर कुछ दिन संतों के साधु वचन सुनना चाहती हैं।

यहाँ ये प्रसंग भी जानना ज़रूरी है कि राजा दशरथ की मृत्यु अकाल मृत्यु थी।  उनकी शेष आयु राम को पूरी करनी थी।यही उपयुक्त समय था,जब राम अपने पिता की आयु जीते,ऐसे समय जब राम राजा दशरथ की आयु जीते तो माता सीता का राम के साथ रहना असंगत,अमर्यादित होता क्योंकि राम सीता माँ के ससुर की आयु जी रहे थे।

इस प्रकार सीता के मन की इच्छा पूरी करना,धोबी की शिकायत को लेकर समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत करना,और पिता की आयु पूरी करना, इन तीन उद्देश्यों पूर्ति हेतु राम ने उपयुक्त समय सोच कर माता सीता का वन में प्रस्थान कराया।

इसीलिए राम ने लक्ष्मण से कहा था कि सीता को विश्वामित्र के आश्रम में छोड़ कर आओ जिससे वो संतों के साथ रहकर गर्भावस्था में उनके साधू वचन सुन कर आदर्शमय जीवन व्यतीत कर समय का सही प्रयोग करें।    


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