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Friday, 18 July 2025

रामचरित मानस के रोचक प्रसंग

 राम चरित मानस के रोचक प्रसंग 

दक्ष प्रजापति का यज्ञ :शिव को श्राप 

एक बार ब्रह्मा के पुत्र दक्ष ने यज्ञ करवाया जिस में सभी ऋषि-मुनियों को आमंत्रित किया गया । सबके आने के बाद अध्यक्ष दक्ष प्रजा पति का आगमन हुआ,सभी रिषि मुनि उनके सम्मान में खड़े हुए किन्तु ब्रह्मा जी और शिवजी नहीं खड़े हुए। ब्रह्मा जी तो दक्ष के पिता थे और शिव जी अपने इष्ट के ध्यान में तल्लीन थे इसलिए उन्हें उनके आने का आभास ही नहीं हुआ। राजा दक्ष जो सभी प्रजा पतियों के अध्यक्ष थे उन्हें घमंड था इस बात का।

 इस पर उन्हें शिव जी पर इतना क्रोध आया कि शिवजी को उन्होंने धृष्ट कहा,नीच कहा और कहा कि इसे यज्ञ की आहुति का भाग नहीं मिलेगा। इसने मेरा अपमान किया है मेरा उपकार भी नहीं माना कि मैंने इस बन्दर जैसी आँखों वाले के साथ अपनी मृगाक्षी जैसी आँखों वाली बेटी का विवाह किया। जो हड्डियों की माला पहनता है,चिता की भस्म लगता है।कौन देता इसे अपनी कन्या !

 इतना सुनने पर भी शिवजी तो शांत रहे लेकिन शिव जी के गणों को बहुत गुस्सा आया उन्होंने दक्ष को कहा- नीच तुम्हारा तत्व ज्ञान नष्ट हो जाय, तुम मूढ़ होजाओ। इस पर दक्ष के सेवकों ने श्राप दिया कि तुम भक्षाभक्ष खाने वाले हो जाओ।तब के शिवजी गण बोले-तुम पतित होजाओ,मार्ग-भ्र्ष्ट हो जाओ। इस प्रकार दोनों तरफ से एक दूसरे पर श्राप के बाण  चलते रहे। तब शिवजी ने इस उत्पात को समाप्त करने लिए सोचा कि अब चलना चाहिए। और वे उसी समय गणों के साथ  यज्ञ शाला से चले गए।और यज्ञ का कार्य वहीँ समाप्त होगया।    

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