कैसे नमन करूँ
कैसे नमन करूँ ,प्रभु तुझको
कैसे नमन करूँ।
जब जिसने जो कुछ भी चाहा,
तूने दिया उसे अविलम्ब।
वैभव,पुत्र,मकान सभी कुछ,
देता रहा उसे जी भर,
फिर भी वह रोता ही रहता।
कैसे समझाऊँ उसको, प्रभु।
कैसे नमन ------------
अपनी ही करनी का प्रतिफल,
उस विमूढ़ के आगे आता।
नहीं समझता वह अज्ञानी,
दोष-बुद्धि से उसका नाता।
हर दिन ,हरपल,रोता रहता,
कैसे समझाऊँ उसको, प्रभु
कैसे नमन करूँ तुझको--
प्रभु ,कैसे नमन करूँ -------
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