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Sunday 7 July 2013

कैसे नमन करूँ


कैसे नमन करूँ 


कैसे नमन करूँ ,प्रभु तुझको
कैसे नमन करूँ।

जब जिसने जो कुछ भी चाहा,
तूने   दिया  उसे  अविलम्ब।
वैभव,पुत्र,मकान सभी कुछ,
देता रहा उसे जी भर,
फिर भी     वह रोता ही रहता। 
कैसे समझाऊँ उसको,   प्रभु। 
कैसे नमन   ------------

अपनी ही करनी का प्रतिफल,
उस  विमूढ़ के आगे   आता। 
नहीं  समझता  वह अज्ञानी,
दोष-बुद्धि  से  उसका नाता।
हर  दिन ,हरपल,रोता रहता,
कैसे समझाऊँ    उसको, प्रभु
कैसे नमन करूँ तुझको--
प्रभु ,कैसे नमन करूँ -------

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3 comments:

  1. ati sunder.....ma tuje salaam.....

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  2. all the best!!!!padho likho khoob sikho!!!

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  3. This is also very beautiful mummy-ji.. Very nicely done...

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