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Tuesday 23 July 2013

समानता का अधिकार

समानता का अधिकार 

समाज ने  औरत को एक ओर समानता का दर्ज़ा देकर और
दूसरी ओर उसे 

सहिष्णुता की देवी कहकर,क्षमा का रूप देकर और 
देवी का अवतार कहकर -
उसके साथ जो चालाकी दिखाई,जो अन्याय किया तो लगा मानो
"इस हाथ से देकर ,उस हाथ से छीन लिया।"

अरे ,जब कष्ट आया तो वह "सम-भागी" है -
जब अत्याचार किया तो "सहिष्णुता" की देवी है और 
जब अपराध किया तो "देवी का अवतार" है- 
रे स्वार्थी मानव!
उसकी सहनशीलता की सीमा न तुड़वा -
जाग!अभी भी समय है,सँभल जा नहीं तो 
जब वह समानता का अधिकार लेगी-

तो सबसे पहले इन बहलाने वाले,फुसलाने वाले झूठे-   
सम्मान-जनक उपादानों को उखाड़ फेंकेगी और फिर  
"एक हाथ से लेकर दूसरे हाथ में जाने नहीं देगी।"

  तब वह केवल और केवल "मानवी"बनकर 
बताएगी कि "समानता का अधिकार"क्या होता है।   
                          
                        क्रमशः ---पार्ट २  
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