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Wednesday 11 October 2023

गाथा : एक कर्मठ योगी की

 

जन्म तो माता की गोद में ही हुआ ;

चार वर्ष के बाद वह छोड़ गयीं ;

पिता के संरक्षण ने पाला ;

बहुत ही प्यार भरा जीवन !

पिता की सरकारी नौकरी से प्राप्त,पर्याप्त था। 

कि एक अनपेक्षित मोड़ ने -

जीवन की दिशा-दशा ही बदल दी !

छूट गया सब !

पिता का दूसरा विवाह !!

सौतेली माँ का आगमन !

अनचाहे आगमन और उपेक्षित व्यवहार से 

उसका जीवन बिखर गया। 

घर पराया होगया। 

14 वर्ष की आयु में मानसिक आघात था ,

4-5 बार घर छोड़ा,

पहले एक माँ ने छोड़ा 

फिर घर छूटा ,

मिथ्या सम्बधों में भी 3-3 माँओं के आश्रय में 

हायर सेकंडरी तक शिक्षा प्राप्त की,

फिर वे भी छूट गयीं।  

पिता के सहयोग से सरकारी नौकरी भी मिली ,

और अब एक नयी ज़िम्मेदारी !

परिवार ! विवाह हुआ ,

परिवार की ज़िम्मेदारी,और फिर -

केवल ज़िम्मेदारी का अहसास 

मोह रहित जीवन !

कर्म-निर्वाह में रत ,

कहीं भी कोई उपेक्षा ,अवहेलना नहीं,

संतान के अनपेक्षित दुःख !

40 वर्ष का अनवरत कर्तव्य-निर्वाह

किन्तु- 

जब संतान के सुख देखने का समय आया; 

तो सब कुछ बिना देखे ही योगी ने 

इस दुनिया से विदा लेली  !

एक कर्तव्यपरायण कर्म-योगी !

निरंतर कर्तव्य-पथ पर सवार 

अंतहीन दिशा की ओर बढ़ चला ;

दुखों को भी छोड़ा ,

सुखों को भी छोड़ा 

कर्तव्य और अधिकार

सबसे मुँहु मोड़ कर विरक्त-भाव से। 

कोई ग़म नहीं;कोई सुख नहीं;कोई दुःख नहीं। 

और चला गया अपने  मुक्ति-पथ पर !!

      (अनु और श्वेता के पिता )

                             **** 



 




 



 






 













   





 









 



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