एक हास्य संवाद - यमराज के साथ
सावधान !! (नेपथ्य से)
यमराज आरहा है !!
आदमी (स्त्री /पुरुष) - हाँ, वो तो आएगा ही ,सावधान करने की क्या ज़रुरत !
आदमी - कौन ? अरे ,तू आ भी गया ?
यमराज - आया नहीं हूँ,आया ही हुआ हूँ।
आदमी - क्यों,अभी तो मेरी उम्र --------!
यमराज - अरे उम्र से क्या होता है, मुझे तो अपना काम करना है।
आदमी - तो करो,किसने रोका है,मेरे ऊपर क्यों खड़ा है ?
यमराज - मुझे तो धर्मराज को हर एक के काम का लेखा-जोखा पकड़ाना है।
आदमी - क्या मतलब ?
यमराज - मतलब साफ़ है ,कौन क्या काम कर रहा है, उनके कर्मों का पूरा हिसाब- किताब !! सारा लेखा-जोखा तो मुझे धर्मराज को देना होता है।
आदमी- ये क्या कह रहे हो। ऐसा कैसे कर सकते हो। हम तो अच्छे-बुरे,ग़लती से या जानबूझ कर क्या क्या करते रहते हैं ,तुम्हें क्यों बताएँ ?
यमराज - तो धर्मराज न्याय कैसे करेंगे ? ये सब बताना मेरी ड्यूटी है।
आदमी - पर ऐसे तो हमारी ज़िन्दगी रुक जाएगी !!
यमराज - तो ठीक है मैं चला जाता हूँ। अदृश्य रहकर देखता रहूँगा।
आदमी - मतलब देखोगे फिर भी। तो फायदा क्या !
यमराज - अरे फायदा नहीं समझे !
आदमी - नहीं !
यमराज - इसमें तो फायदा ही फायदा !
आदमी - वो कैसे ?
यमराज - अरे जब तुम्हें पता रहेगा कि तुम्हें कोई देख रहा है तो तुम डरोगे और कुछ गलत भी नहीं करोगे। है कि नहीं फायदा !
आदमी - हाँ ये तो है।
(दौड़ते हुए पुत्र का आना)
मोनू - देखो मम्मी ,मैंने परीक्षा में वही किया जो आपने कहा।
माँ - क्या कहा था मैंने ?
मोनू - यही कि अगर किसी प्रश्न का उत्तर नहीं आये तो इधर-उधर किसी का चुपके से देख लेना।
माँ - अरे मैंने ऐसा नहीं कहा था ,चल जा अंदर,बाद में बात करेंगे। अभी फ्रेश हो जाकर।
माँ - इधर-उधर देख कर,अरे लिख लिया क्या ?
यमराज - हाँ यहाँ तक का पूरा होगया।
माँ - पर सुना नहीं आपने,मैंने मोनू को मना किया था कि मैंने ऐसा नहीं कहा था।
यमराज - हाँ ये भी सुना ,और ये भी लिख लिया।
माँ -अरे ये क्या ! pl यहाँ तक का सब डिलीट कर दो आगे से सब लिखना।
(आत्म-गत )- क्या मुसीबत है ,आदमी जी भी नहीं सकता अपनी तरह से ----.
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