------जीवन अभी बाकी है ----
झुर्रियाँ बताती हैं कि -
बीता हुआ कल अभी ज़िंदा है।
मिचमिचाती आँखों की रौशनी बताती है कि -
पढ़ने-लिखने का जज़्बा वैसा ही है तो वो ज़िंदा हैं
हाथों की कटी-पिटी,बदलती हुई रेखाएँ बताती हैं कि
जीवन अभी बाकी है।
थुल-थुल काया की क्रिया शीलता बताती है कि-
धड़कनें अभी बाकी हैं।
टाँगों की लड़खड़ाहट बताती है कि
लाठी लेकर चलना अभी बाकी है।
मुँहु से निकलने वाले उलटे-पुल्टे शब्द बताते हैं कि
जीभ में ताकत अभी बाकी है।
कार्य-शैली की गति अब धीमी होगयी है पर
कार्य अभी बाकी हैं।
समयाभाव के कारण लोगों ने आना कम कर दिया है
पर भर-पूर स्वागत होता है तो
मिलने के लिए जाना अभी बाकी है।
हाथ-पैरों के,बढ़कर परेशान करने वाले नाख़ून भी
बताते हैं कि साँसें अभी बाकी हैं तो फिर
निराशा और हताशा क्यों ??
जीओ-जी भरके -----!!!
जय श्री राम !!
************
No comments:
Post a Comment