जब मैंने पब्लिक स्कूल में हिंदी पढ़ाई ----( हास्य-व्यंग्य )
पढ़ाया बहुत लिखाया बहुत किन्तु मैंने सीखा यहाँ पर बहुत
हिंदी को माना पढ़ाना सरलकिन्तु यहाँ होगया पढ़ाना जटिल -
कैसे ?देखिये आगे -
पूछा मैंने एक दिन (सर्वनाम के पाठ में)
" वह जाता है। " वाक्य में "वह"कौनसा "पुरुष" है?
उत्तर न मिलने पर प्रश्न पुनः दुहराया
लेकिन फिर भी कोई जबाव नहीं -
फिर लगा प्रश्न मुश्किल है -
तो एक दो छात्रों को नाम लेकर पूछा -
भाई कोई तो बोलो -क्या हुआ ?
पर फिर वही चुप्पी ,वही हाल ,कोई जबाव नहीं -
तब लगा झटका कहीं अंग्रेजी के शिकार तो नहीं हैं ये ?-
फ़ौरन पूछा -भई ,पुरुष यानि "वह "कौनसा" " पर्सन "है ?
और तब एक नहीं -दो नहीं हो गए तीसों छात्रों के हाथ खड़े -
एक ही स्वर में "यस मैंम इट इज़ अ थर्ड पर्सन। "----
सुन कर हुई हैरान -
"अरे यह हिंदी की कक्षा है या अंग्रेजी की ?"
हमने तो अंग्रेजी पढ़ी हिंदी माध्यम से,
और ये पढ़ रहे हैं ,हिंदी अंग्रेजी माध्यम से
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