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Tuesday, 21 January 2014

जब मैंने पब्लिक स्कूल में हिंदी पढाई ----(हास्य -व्यंग )


जब मैंने पब्लिक स्कूल में हिंदी पढ़ाई ----( हास्य-व्यंग्य )

 पढ़ाया बहुत लिखाया बहुत किन्तु मैंने सीखा यहाँ पर बहुत
हिंदी को माना पढ़ाना सरलकिन्तु यहाँ होगया पढ़ाना जटिल -
कैसे ?देखिये आगे -

        पूछा मैंने एक दिन    (सर्वनाम के पाठ में)
      " वह जाता है। "  वाक्य में "वह"कौनसा "पुरुष" है?
       उत्तर न मिलने पर प्रश्न पुनः दुहराया
       लेकिन फिर भी कोई जबाव नहीं -
       फिर लगा प्रश्न मुश्किल है -
       तो एक दो छात्रों को नाम लेकर पूछा -
       भाई कोई तो बोलो -क्या हुआ ?
       पर फिर वही चुप्पी ,वही हाल ,कोई जबाव नहीं -

तब लगा झटका कहीं अंग्रेजी के शिकार तो नहीं हैं ये ?-
फ़ौरन पूछा -भई ,पुरुष यानि "वह "कौनसा"  " पर्सन "है ?

       और तब एक नहीं -दो नहीं हो गए तीसों छात्रों के हाथ खड़े -
       एक ही स्वर में "यस मैंम इट इज़ अ थर्ड पर्सन। "----
 
सुन कर हुई हैरान -
            "अरे यह हिंदी की कक्षा है या अंग्रेजी की ?"
           
             हमने तो अंग्रेजी पढ़ी हिंदी माध्यम से,
            और ये पढ़ रहे हैं ,हिंदी अंग्रेजी माध्यम से  


                                    **

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