सवाल ??
ये अचानक मेरी लेखनी में लड़खड़ाहट!!!
हठात हाथों में कम्पन !
विचारों की अविच्छिन्न धारा -प्रवाह में अवरोध !
होता है ,होता है साहब !-
ऐसा ही होता है-
जब आपकी ज़िंदगी ही -
सवाल बन कर आपसे जवाब माँगे और -
आप निस्तब्ध होजाएं तब
होता है ,होता है -------ऐसा ही हो ता है।
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