दादी-पोती संवाद ( हास्य प्रसंग )
कई महीने के बाद मध्य रात्रि 2 बजे पोती अपने हॉस्टल से छुट्टियाँ बिताने घर आयी थी।थकी हुई थी,अपनी दादी से मिलने के बाद तुरंत सोगई।सुबह देर तक सोती रही कि अचानक दादी की प्यार भरी कड़क आवाज़ ने सोती हुई बच्ची को कुलमुला दिया पुनः आवाज़ दी -अरी बिटिया अभी उठी नहीं! उठके आ मेरा काम कर,-2 दिन को आयी है, दादी याद करेगी फिर - सुनते ही पोती दौड़ी-दौड़ी आयी - बोलो दादी,क्या काम है,जल्दी बताओ मुझे नींद आरही है।
दादी (हँसती हुई) -अरे अभी सोना बाकी है,अच्छा जा ज़रा मेरी लठिया तो ला,जाना है पड़ौस में भजन कीर्तन है,देर होरही है।
पोती - लो दादी,अब मैं जाऊँ ?
दादी - अरे मेरा चस्मा तो लाके दे।
पोती-ओके दादी, ये लो चश्मा अब जाऊँ ?
दादी - ठैर तो लाली, मेरी लम्बी वाली ड्रेस तो ला,जो तेरी माँ ने मंगाई थी।(पहनी हुई ड्रैस की ओर)इशारा कर,ये पहनके थोड़े ही जाऊँगी।
पोती-ओके दादी,कहाँ रखी है।
दादी -वो मेरी अलवारी में कपड़ों के नीचे चौथे नंबर पै रखी है,जा दौड़के ला,भजन शुरू हो जायेँगे,देर हो रही है।
पोती -लो दादी,अब मैं जाऊँ?
दादी-अरी मेरा बटुआ तो ला,पैसे भी तो चढ़ाने को चाहिए और ले,तनिक जाकर 2 केले भी मदर डेरी से दौड़के लादे।
पोती हँसते हुए- दादी,मेरी सारी नींद उड़ादी,अब जाऊँ ?
दादी-अरी बिटिया इतना काम कर दिया,अब मुझे पड़ौसन के घर छोड़ भी आ,बिटिया चौथी मंजिल पर घर है,कैसे जा पाऊँगी, कहीं गिर गयी तो ---!
पोती- चलो दादी वहाँ भी छोड़ आती हूँ।पोती (छोड़ कर) बोली- अब जाऊँ ?
अरी थोड़ा बैठ ले,मत्था टेक, भजन सुन,मुझे वापस भी ले चलना,आधा घंटे बाद।(पोती बैठ जाती है)
दादी-चल अब घर चल,चल कर अब सोजाना, नींद पूरी कर लेना,कितनी अच्छी बिटिया है।
पोती (हँसती है),हाथ पकड़ कर,आदर-प्यार से घर ले जाती है।
अब जाकर जो उसकी हँसी का गुब्बारा फूटा - ज़ोर-ज़ोर से अकेले ही हँसने लगती है।और जब सबने हँसने का कारण पूछा तो बैठ कर,हँसी के मारे उस से बोला ही न जाये फिर दादी की ओर देखते हुए घर में सबको सारा किस्सा सुना-सुना कर खूब मजे ले लेकर हँसाया। फिर हँसते हुए-
बोली दादी- अब जाऊँ सोने ?
दादी भी पल्लू से मुँहु ढक कर मुस्कराती हैं --------
****
Very nice :-)
ReplyDeleteBahut sundar likhte ho aap ma'am❤️🙏
ReplyDeleteName pl.
ReplyDelete