लीमाखोंग तुम बहुत याद आओगे -----
कुछ समय बेटे की पोस्टिंग पर मणिपुर के लीमाखोंग नगर में रहने का अवसर मिला। बहुत ही मनभावन शांत और दिलखुश जगह ! किन्तु अगली पोस्टिंग बीकानेर का नाम सुन जो फील हुआ उसे शब्दों में उतारने का प्रयत्न है ये मेरी रचना --
"लीमाखोंग" तुम बहुत याद आओगे ----------
जब नीला आसमान धूल से आच्छादित हो जायेगा
जब तप्त ज़मीन आग उगलेगी
जब हरे-हरे पत्ते गर्मी से झुलस कर
पीले और मटमैले नज़र आयेंगे
तब लीमाखोंग तुम बहुत याद आओगे -------
जब गर्मी की तीखी चुभन काँटों सी चुभेगी
जब एसी,कूलर,पंखा सब बंद होजायेंगे
जब तप्त हवा के झोंकेशरीर को झुलसायेंगे
तब लीमाखोंग तुम बहुत याद आओगे -------
जब फ्रिज भी मुँहु चिढ़ाने लगेगा
नल का उबला हुआ पानी देह को जलाएगा
पसीने की गंध भी एक दूसरे को नहीं सुहाएगी
तब लीमाखोंग तुम बहुत याद आओगे ------
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