जबान होते बच्चे ------
दादा-दादी,माता-पिता के संरक्षण में पलते बच्चे,
अचानक ही जबानी की देहलीज़ पर पहुँचे बच्चे ,
सबको लुभाते-हर्षाते बच्चे कब बड़े हो जाते हैं !!
आँखों में अनेक प्रश्न लिए,कुछ घबराये से बच्चे ,
बुद्धि से "अपरिपक्व" समझदारी में कमज़ोर बच्चे ,
स्वयं को अति"बुद्धिमान"समझ कब बड़े हो जाते हैं।
बात-बात पर हँसते-हँसाते , झगड़ते-झगड़ाते बच्चे ,
कब उन्हींकी समस्याओं का "समाधान" बन जाते हैं !!
कब दादा-दादी के "संरक्षक" भी बन जाते हैं !!
कब उन्हीं माता-पिता की "गोदी" बन जाते हैं !!
कब वे अपनी बाहोंका "झूला" भी बना देते हैं !!
जबान होते बच्चे कब "बड़े" होजाते हैं।
जबान बच्चे कब "परिपक्व" होजाते हैं।
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