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Friday, 30 April 2021

एक निस्पृह अवस्था

एक निस्पृह,अनचाही लावारिश अवस्था !!


अचानक दिल की तलहटी से निकले ये शब्द -

सहसा ही पास बैठे किसी को, 

चौंकाने के लिए काफ़ी थे,कि -

एक आवाज़ ने चौंकाया,-

"भई ये कौनसी अवस्था है !" 

 अरे वही -

"जिसमें सब कुछ धुँधला-धुँधला नज़र आता है।"

"आइसोलेटेड है " ये पूरी तरह से -

"पर ये तो वृद्धावस्था होती है,"

नज़र धुँधली हो जाती है,

पर लावारिस कैसे !!

क्योंकि ये अवाँछनीय है,कोई नहीं चाहता इसे;

चारों ओर खालीपन ही खालीपन;

"कोरन्टाइन है," 

हर कोई परेशान !

सिर्फ और सिर्फ धूमिल सी आकृति ;

टेड़ी-मेड़ी सी ,

जो अपने ही पन का अहसास कराती है।

"ओह ! तो ये बात है,

ये तो सामान्य है।"   

हाँ , पर अब ये असामान्य है।

और लाइलाज़ भी ------------- 

अगर एक मुस्कान भी "एक्सचेंज" न हो किसी के साथ !

तो और इसे क्या कहें।  


                      ***  


 



  

    

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