एक निस्पृह,अनचाही लावारिश अवस्था !!
अचानक दिल की तलहटी से निकले ये शब्द -
सहसा ही पास बैठे किसी को,
चौंकाने के लिए काफ़ी थे,कि -
एक आवाज़ ने चौंकाया,-
"भई ये कौनसी अवस्था है !"
अरे वही -
"जिसमें सब कुछ धुँधला-धुँधला नज़र आता है।"
"आइसोलेटेड है " ये पूरी तरह से -
"पर ये तो वृद्धावस्था होती है,"
नज़र धुँधली हो जाती है,
पर लावारिस कैसे !!
क्योंकि ये अवाँछनीय है,कोई नहीं चाहता इसे;
चारों ओर खालीपन ही खालीपन;
"कोरन्टाइन है,"
हर कोई परेशान !
सिर्फ और सिर्फ धूमिल सी आकृति ;
टेड़ी-मेड़ी सी ,
जो अपने ही पन का अहसास कराती है।
"ओह ! तो ये बात है,
ये तो सामान्य है।"
हाँ , पर अब ये असामान्य है।
और लाइलाज़ भी -------------
अगर एक मुस्कान भी "एक्सचेंज" न हो किसी के साथ !
तो और इसे क्या कहें।
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