संकलित
" यदि हर कोई आपसे खुश है, तो निश्चित है,आपने जीवन में बहुत समझौते किये हैं और यदि आप सबसे खुश हैं
तो निश्चित है,आपने लोगों की बहुत सी ग़लतियों को नज़रअंदाज़ किया है। "
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कहते हैं बोलने से पहले १०० बार सोचो क्योंकि हर शब्द और वाक्य के अनेक अर्थ हो सकते हैं , जब बोलना हो तो सोचिये कि सुनने वाला क्या वही अर्थ समझेगा जो आप कहना चाहते हैं यदि नहीं तो अपने वाक्य या शब्द के विन्यास को बदल कर सोचिये कि अर्थ आपके अनुसार हो।द्वि अर्थी शब्दों के प्रयोग से बचिए इस प्रकार आप ग़लतफ़हमी का शिकार होने से बच सकते है।
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" जब आप अपने मन की बात अपने मन में नहीं रख सकते तो कैसे विश्वास कर सकते हैं कि वो आपके मन की बात को
अपने मन में रख सकता है।"
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किसी को उसीकी की भाषा में जबाव देने से पहले सोचो कि " मैं , मैं हूँ।" और वो , वो। आपकी भाषा बदल जाएगी।
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जैसे साहित्य समाज का दर्पण है ,वैसे ही आपका " चेहरा आपके विचारों का दर्पण होता है।"
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मैं स्वयं कभी ऊँचे ओहदे पर नहीं देखती पर जो मिलता है उसे सर्वोच्च ओहदे का सम्मान समझती हूँ।
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