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Monday, 26 January 2015

माँ तो केवल माँ होती है


माँ तो केवल माँ होती है --

अनेक बार ऐसा सुना जाता है पर मैंने यह स्वयं देखा है। एक महिला अपनी बेटी के विवाह में उसकी दादी को उसके अशुभ होने की दुहाई देकर विवाह के किसी भी कार्य-क्रम में सम्मिलित होने से रोकती रही। दादी माँ का
आशीर्वाद लेने के लिये बेटी चीखती-चिल्लाती रही पर उसकी माँ ने उसके दादा के न रहने के कारण दादी  से दूर ही रखा। यह रचना एक ऐसे ही दृश्य से प्रेरित होकर लिखी गयी थी----

जीवन के झंझावातों में ,हर मुश्किल और हर तूफाँ में ,
माँ दुर्गा का रूप वहन कर ,हर दुर्गम पथ पर चल देती
                                  तब भी क्या वह --------------        
                                  माँ तो केवल माँ होती है ------

बचपन से वृद्धावस्था तक ,कभी न थकती कभी न दुखती
माँ पत्नी और भगिनी बनकर ,दिन और रात  दुआएँ  देती -----
                                  फिर भी क्या वह -------------- 
                                  माँ तो केवल माँ होती है ----

न वह विधवा न वह सधवा न वह अबला न वह सबला
इकली हो या दुकली हो पर वह तो केवल माँ होती है
                                मंगल की इस मूर्तिमयी इकली माता को ,
                                नमन ,शत नमन   औ '       अभिनन्दन,ऐसी माँ तो माँ होती है।
                                                    ---------







  

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