जानती हूँ यह प्रतिस्पर्धा का दौर है हर माता-पिता अपने लाड़ले को आगे आगे और सबसे आगे की चाह में उसे दौड़ाये जारहे हैं इस संदर्भ में मैँ क्या सोचती हूँ देखें इन पंक्तियों में ----
बच्चों का बचपन मत छीनो ,
बच्चों का शैशव मत छीनो ,
उनकी ये मासूम अवस्था ,
नहीं लौट कर आएगी ---,
यौवन की अल्हड़ता रस्ता रोक खड़ी होजायेगी।
बचपन की चंचलता से भरपूर अनूठी बातें --,
नटखट आँखों की भाषा कब कैसे तुम्हें लुभाएगी ,
लुकाछिपी का खेल और तुतलाती बातें ------,
ओठों की मुस्कान कहो कब कैसे तुम्हें रिझाएगी।
बच्चों का बचपन रहने दो,
उसको शैशव में पलने दो ,
अम्मा की कोमल बाँहों का ,
झूला उसे बनाने दो----
उसे सहजता में जीनेदो ,उसे सहजता में जीनेदो।
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बच्चों का बचपन मत छीनो ,
बच्चों का शैशव मत छीनो ,
उनकी ये मासूम अवस्था ,
नहीं लौट कर आएगी ---,
यौवन की अल्हड़ता रस्ता रोक खड़ी होजायेगी।
बचपन की चंचलता से भरपूर अनूठी बातें --,
नटखट आँखों की भाषा कब कैसे तुम्हें लुभाएगी ,
लुकाछिपी का खेल और तुतलाती बातें ------,
ओठों की मुस्कान कहो कब कैसे तुम्हें रिझाएगी।
बच्चों का बचपन रहने दो,
उसको शैशव में पलने दो ,
अम्मा की कोमल बाँहों का ,
झूला उसे बनाने दो----
उसे सहजता में जीनेदो ,उसे सहजता में जीनेदो।
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Read it auntiji great articulation of childhood
ReplyDeleteJitenderlal
thanks you beta
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