उपाय सुनकर वह भोली-भाली,सरल चित्त महिला-
बड़ी प्रसन्न हुई अब वो समय पर दूध लाती,
ब्राह्मण की डाँट से भी बच गयी।
ब्राह्मण भी प्रसन्न।
एक दिन बोला - अम्मा,अब समय पर दूध कैसे लापाती हो ?
महिला बोली-
"आपने ही तो कहा था -
" ईश्वर का नाम लेकर तो लोग समुद्र पार कर जाते हैं।"
तो बस,मैंने वही किया।
अब मैं किसी यात्री,मल्लाह का इन्तज़ार नहीं करती -
ईश्वर का नाम लेती हूँ और नदी पार कर लेती हूँ।"
ब्राह्मण को आश्चर्य हुआ,
बोला -
मुझे दिखाओ कैसे पार करती हो !
अहीरन ने उसे साथ लिया और उसके सामने
भगवान का नाम लेकर नदी पर चलने लगी
पीछे मुड़ कर देखा -
बोली - महाराज, अब होगया विश्वास ?
उस मुग्धा अहीरन के आगे ब्राह्मण नतमस्तक-
हैरान-परेशान , चमत्कृत !! सोचा -
"मैं तो अपने कपड़े उठा कर भीगने के भय से दूर खड़ा था।
और
ये मेरी एक छोटी सी चेतावनी से नदी पार कर गयी।
और कुछ नहीं बिगड़ा !!
ईश्वर के प्रति अटूट आस्था ने -
अहीरन के प्रति ब्राह्मण को अति श्रद्धानत कर दिया।
(संकलित कथानक का काव्य रूप )
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