दिल की डायरी से-
कभी कभी हठात मुझे मेरे लिए सुनाई देता है कि "एक दुःख है वैसे तो बेटे की वजह से सारे सुख हैं।"
ग़लत एकदम ग़लत !! लोग जिसे दुःख कहते हैं,मेरी दृष्टि मैं उसे पूर्ण सुख समझती हूँ क्योंकि यह दुःख उनके लिए सुख का कारण बना। जिस दुःख से मेरे पति उस समय गुज़र रहे थे उससे उन्हें मुक्ति मिली और वह सुखी होगये इसलिए मैं सुखी ही हूँ।
दूसरी बात उन्होंने मेरे लिए इतना कर दिया है कि शायद मुझे उसकी आवश्यकता भी न पड़े।
तीसरी बात बेटे के साथ रहकर जो सुविधाएँ मिलरही हैं,वो तो मेरे पति के आशीर्वाद से ही हैं। उन्होंने मुझे हमेशा आराम देना चाहा ,लेकिन वैसा नहीं कर पाये,वो चाह अपने बेटे के माध्यम से पूरा कर रहे हैं। इसलिए मैं खुश हूँ ,बिलकुल दुखी नहीं हूँ। पर सुविधा रहित जीवन को ही मैं पसंद करती हूँ।
" उनके दुःख में मैं दुखी थी अब उनके सुख में मैं सुखी हूँ।" यही है सत्य , मेरी शेष ज़िंदगी का सत्य !!
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