Tuesday, 26 November 2013

महा -प्रयाण



महा-प्रयाण !

यह तो एकदिन होना ही है क्योंकि -
मृत्यु और जीवन तो शाश्वत सत्य है 
न बचपन रहता है,न जवानी रहती है और 

न वृद्धावस्था रहेगी :
किन्तु यह अवस्था बड़ी लम्बी और भयावह होगी ,
कानों से सुनाई कम देगा  
आँखों  से दिखाई कम देगा -
जबान लड़खड़ाने लगेगी -
कोई समझने वाला नहीं होगा ,
दौड़ - भाग की दुनिया में 
पास भी बैठने वाला नहीं होगा कोई -
इसलिए अभी से सोचना होगा ----

क्रोध,लोभ, मोह व्यसन को भूलना होगा 
भक्ति,ज्ञान,सत्कर्म में ही मन लगाना होगा 
जब तक शरीर सशक्त है ,यही  श्रेष्ठ होगा -  
इसी में सच्चा आनंद मिलेगा 
चित्त को पूर्ण शांत जीवन मिलेगा। 

परमात्मा का आश्रय लेकर 
जीवन की डोर उनके हाथों सौंप कर 
उन्हें पुकारना होगा 
और तब वह स्वयं हाथ पकड़ कर 
अपने धाम लेजाएंगे 
और यह सच्चा प्रयाण ही नहीं : "महा प्रयाण होगा" !!

             ॐ शान्ति शान्ति शान्ति ----

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