अनुभव
Sunday, 24 June 2018
जब से होश सँभाला
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मुझे आपत्ति है ----- जब से होश सम्भाला है - तब से दो असहनीय शब्दों का सामना कर रही हूँ - वे दो शब्द ; पढ़कर स्वयं समझ पाएँगे। सोचि...
Saturday, 19 May 2018
थकी थकी सी प्रकृति
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पहले ताण्डव और फिर बेसुधी की तन्द्रा -- १३ मई रविवार - कुदरत का ऐसा रौद्र और विनाशकारी रूप - उम्र के इतने दशक बीते नहीं देखा। अचान...
Friday, 20 April 2018
वक्त की करवट
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वक्त की करवट क्योंकि अब दादी दादी नहीं होतीं,नानी नानी नहीं होतीं केवल एक वृद्धा,असमर्थ,ज़रूरतमंद,महिला होती है हाँ घर में एक महत्वपूर...
Saturday, 23 December 2017
ये कैसी रिहाई !!
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ये कैसी रिहाई ------- संघर्ष के बाद महा संघर्ष !! मस्तिष्क और अधिक अशान्त। उलझे हुए प्रश्नों का मक्कड़जाल ,ये कैसी रिहाई ! चारों तर...
Friday, 22 September 2017
प्रेरक सन्देश
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प्रेरक सन्देश कल किसीने ऐसा कुछ कह दिया ,लगा सच ही तो है -- " घर का मुखिया अगर चला जाय तो परिवार में उश्रृंखलता ( उद्दण्डता ) आएग...
Saturday, 9 September 2017
झुर्रियाँ बताती हैं -----
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------जीवन अभी बाकी है ---- झुर्रियाँ बताती हैं कि - बीता हुआ कल अभी ज़िंदा है। मिचमिचाती आँखों की रौशनी बताती है कि - पढ़ने-लिखने का ...
Sunday, 3 September 2017
एक हास्य परिकल्पना ---
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एक हास्य परिकल्पना --- मन तो विचारशील होता है वह सदैव विचारों के ताने-बाने में ही उलझा रहता है। व्याकरण भी इसी बात की पुष्टि करता है...
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